देवी माहात्म्यं दुर्गा द्वात्रिंशन्नामावलि
धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा।।
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति पंचमोऽध्यायः
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति त्रयोदशोऽध्यायः
यस्तु कुञ्जिकया देवि हीनां सप्तशतीं पठेत् ।
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति षष्ठोऽध्यायः
देवी वैभवाश्चर्य अष्टोत्तर शत नाम स्तोत्रम्
श्री सरस्वती अष्टोत्तर शत नाम स्तोत्रम्
सरसों के तेल का दीपक है तो बाईं ओर रखें. पूर्व दिशा की ओर मुख करके कुश के आसन पर बैठें.
ऐंकारी सृष्टिरूपायै ह्रींकारी प्रतिपालिका ।
दकारादि दुर्गा अष्टोत्तर शत नामावलि
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That is prayer from the Kunjika which happens here to be The main reason for awakening. Oh Parvathi, continue to keep this safeguarded and kept top secret from those people who are not devotees.
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